महाकुम्भ घटनाये कुंभ की 8 दिलचस्प कहानियां
निर्वस्त्र नागाओं की तरह रेत पर लोटने लगी विदेशी महिला:इंसानी हड्डियों की माला पहनकर संगम में डुबकी; कुंभ की 8 दिलचस्प कहानियां
2001 महाकुंभ की बात है। मैं कवरेज के लिए संगम क्षेत्र में घूम रहा था। मैंने देखा कि कुछ लोग सफेद कपड़ा पहने गुनगुनाते हुए संगम में डुबकी लगाने जा रहे थे। महिला, पुरुष और बच्चे सभी उस ग्रुप में शामिल थे। सबसे आगे चल रहे शख्स के गले में इंसानी हड्डियों की माला थी।मुझे यह जानने की दिलचस्पी जागी कि आखिर ये लोग कौन हैं और गले में हड्डियों की माला पहनकर क्यों नहाने जा रहे हैं। मैंने उनसे इसकी वजह पूछी। पता चला कि ये लोग मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर से आए हैं। ये एक परंपरा निभा रहे हैं।दरअसल, इनके परिवार में जब कोई कम उम्र में मर जाता है, तो उसे ये लोग दफना देते हैं। फिर घर का मुखिया उसके हड्डियों की माला बनाकर गले में पहन लेता है। ये लोग 12 साल तक कुंभ का इंतजार करते हैं।कुंभ आने पर पूरा परिवार प्रयाग आता है और हड्डियों की माला गंगा में प्रवाहित कर दी जाती है। वे गंगा से प्रार्थना करते हैं कि उस बच्चे के प्रति हमारे कुछ दायित्व थे, लेकिन हम निभा नहीं पाए। हे गंगा मां फिर से बच्चे को हमारी गोद में देना।ये किस्सा लंबे समय से कुंभ कवर रहे लेखक धनंजय चोपड़ा ने सुनाया। आज ‘महाकुंभ के किस्से’ सीरीज के 9वें एपिसोड में कुंभ से जुड़ीं 8 दिलचस्प कहानियां…

जब कुंभ में एक के बाद एक धमाके हुए, अखबार में लपेटकर रखे गए थे विस्फोटक ‘1989 कुंभ की बात है। शाम का वक्त था। हम लोग संगम क्षेत्र में ‘चलो मन गंगा यमुना तीरे’ कल्चरल प्रोग्राम देख रहे थे। करीब 6 बजे बम फटने जैसी आवाज आई। हम लोग चौंक गए। लगा कोई पटाखा फटा होगा। कुछ सेकेंड बाद एक और धमाका हुआ। हम लोग फौरन बाहर निकले। बाहर देखा तो सब कुछ सामान्य था।इस बीच एक और धमाके की आवाज आ गई। जिधर से आवाज आ रही थी, उधर ही हम आगे बढ़ने लगे। थोड़ी देर में लोग पैनिक होने लगे। इधर-उधर भागने लगे। चूंकि उस दिन मेन बाथिंग डे नहीं था, इसलिए भगदड़ जैसी स्थिति नहीं बनी।जब हम वहां पहुंचे तो देखा बांग्ला भाषा में लिखे अखबार में विस्फोटक रखे हुए थे। जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया। इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। कुछेक लोगों को हल्की चोटें आई थीं।हालांकि, ये पता नहीं चल सका कि धमाके किसने किए और क्यों किए, लेकिन इसका असर अगले कुंभ में देखने को मिला। उस कुंभ में जो SSP आए थे, उनके साथ ब्लैक कमांडोज थे। उनका कहना था कि दहशत फैलाने वालों को ये दिखाना जरूरी है कि हम तैयारी के साथ आएहैं।’ ये किस्सा प्रयागराज के सीनियर फोटोजर्नलिस्ट स्नेह मधुर ने बताया।

जब विदेशी महिला, नागा साधुओं की तरह बिना कपड़े के संगम की रेत पर लोटने लगी 2001 की बात है। कुंभ की कवरेज के लिए संगम किनारे घूम रहा था। सुबह-सुबह नागा साधु ढोल नगाड़ों के साथ झूमते हुए शाही स्नान के लिए संगम पहुंचे। वे तलवारबाजी कर रहे थे। हर-हर महादेव के नारे लगा रहे थे।जैसे ही नागा साधुओं ने संगम में डुबकी लगाना शुरू किया, 25-30 साल की एक विदेशी महिला अचानक अपने कपड़े उतारने लगी। लोग कुछ समझ पाते, वो बिना कपड़े के तेजी से संगम की तरफ दौड़ी और छलांग लगा दी।कुछ देर बाद महिला स्नान करके बाहर निकली और संगम किनारे रेत के ढेर पर लोटने लगी। नागाओं को देखकर अपने शरीर पर रेत मलने लगी। लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया। उसे देखने के लिए भीड़ जुट गई। इसी बीच कुछ पुलिस अधिकारी महिला के पास पहुंचे और उसे कंबल ओढ़ाकर थाने मेंले गए। बाद में एक मैगजीन ने अपनी कवर स्टोरी में उस महिला की फोटो छापी थी।तब UP में BJP की सरकार थी और राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लालजी टंडन के जिम्मे कुंभ मेला था। महिला की फोटो छापने पर लालजी टंडन पत्रकारों से खासा नाराज हुए थे। बाद में कुंभ की रिपोर्टिंग को लेकर पत्रकारों पर लाठीचार्ज भी हुआ। कई दिनों तक पत्रकारों ने धरना भी दिया था। ये किस्सा प्रयागराज के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट एसके यादव ने बताया।

जब नागा साधु ने तलवार की नोक पर टांग लिया फोटोग्राफर का कैमरा स्नेह मधुर बताते हैं- ‘1977 की बात है। मैं कुंभ की कवरेज के लिए संगम पहुंचा था। तब मैं एक मैगजीन के लिए काम करता था। उस दिन नागा साधुओं का स्नान था। मैं नागाओं के जुलूस को फॉलो करने लगा। सुबह का वक्त था। आकाश में बादल थे। अंधेरा सा छाया था।
मैंने देखा कि एक जगह घेरा बनाकर नागा साधु तलवारबाजी कर रहे हैं। मैं वहां रुककर तलवारबाजी देखने लगा। मुझे लगा कि इनकी फोटो लेनी चाहिए। मैंने चुपके से कैमरा निकाला और फोटो खींचने लगा। एक नागा साधु ने मुझे ऐसा करते देख लिया। वो मेरी तरफ दौड़ पड़े और तलवार की नोक पर मेरा कैमरा उठा लिया।सब लोग सकपका गए, क्योंकि ऐसा माना जाता था कि नागा गुस्सा होते हैं तो कुछ भी कर गुजरते हैं। मेरे बगल में ही SP खड़े थे। नागा साधु ने मुझसे कहा- ‘तुम्हें पता नहीं कि नागा की फोटो खींचना मना है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई फोटो खींचने की।’मैंने कहा- ‘मुझे मालूम नहीं था। मुझे लगा कि फोटो खींच लूंगा तो लोग भी देखेंगे।’ उन्होंने कहा- चलो कैमरे में से रील निकालो। मैंनेकहा- फोटो खींची नहीं है।इसके बाद SP आ गए। उन्होंने कहा कि बाबा इन्हें छोड़ दीजिए, माफ कर दीजिए। नए हैं, गलती हो गई है। पता नहीं क्या हुआ कि नागा साधु का दिल पिघल गया। उन्होंने तलवार से कैमरा मेरे कंघे पर टांग दिया और कहा- ‘चलो मन की मुराद पूरी कर लो। खींच लो मेरी फोटो।’मैं डरा हुआ था कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। SP ने कहा- ‘बाबा कह रहे हैं, तो फोटो खींच लो। वर्ना ये नाराज हो जाएंगे।’ मैंने नागा साधु की फोटो खींची। बाकी नागा साधु भी उनके पास आ गए थे। वो फोटो एक मैगजीन में छपी भी थी।’
