परिक्रमा करने से तुरंत पूरी होती हैं सभी कामनाएं
अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में सुबह संगम स्नान करके गंगा पूजन के बाद पंचक्राेशी परिक्रमा यात्रा आरंभ हुई। सर्व प्रथम यमुना पार के लालापुर स्थित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन किया गया। इसके बाद बीकर गांव में पद्म माधव के दरबार में मत्था टेका। यहां से सुजावन देव मंदिर में पहुंचे।

महाकुंभ नगर। सनातन धर्म की परंपरा और संस्कृति का संरक्षण करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पंचक्राेशी परिक्रमा करवा रहा है। परिक्रमा में शामिल संत और श्रद्धालुओं के ऊपर जगह-जगह पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया। परिक्रमा के तीसरे दिन बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में सुबह संगम स्नान करके गंगा पूजन के बाद यात्रा आरंभ हुई। सर्व प्रथम यमुना पार के लालापुर स्थित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन किया गया। इसके बाद बीकर गांव में पद्म माधव के दरबार में मत्था टेका।
श्रीमनकामेश्वर महादेव का किया दर्शन
यहां से सुजावन देव मंदिर में पहुंचे। वहां से पर्णास मुनि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि, पर्णास ऋषि व ज्वाला देवी का पूजन करके जनकल्याण की कामना की। ज्वाला देवी दर्शन-पूजन के बाद यात्रा कीडगंज एडीसी चौराहा के पास जूना अखाड़ा के प्राचीन राम जानकी मंदिर पहुंची।

दर्शन-पूजन कर की जनकल्याण की कामना
वहां महापौर गणेश केसरवानी के नेतृत्व में संतों के ऊपर पुष्पवर्षा करके स्वागत किया गया। सबने मंदिर में भगवान श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की स्तुति करके जनकल्याण की कामना की। महंत हरि गिरि ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा का धार्मिक और पौराणिक महत्व है।
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